Add To collaction

मुनिया का फर्ज

मुनिया का फर्ज

कुमार फैमिली की घरेलू सहायिका मुनिया ने कभी भी परिवार के किसी भी सदस्य को शिकायत का मौका नहीं दिया ।सुधा कभी भी मुनिया से कोई भी काम को कहती, जी मेम साहब ,कहकर मुनिया काम कर देती। कभी भी सुधा कुछ खाने को देती ,तो आराम से काम खत्म करके, खाने को कह देती । सुधा को भी  मुनिया की आदत सी पड़ गई ।अगर एक दिन मुनिया छुट्टी कर लेती ,तो सुधा को तो घर संभालने में आफत लगती ।सुधा को मुनिया पर पूरा विश्वास हो चला, कभी भी मुनिया के रहते एक पाई भी इधर की उधर ना हुई ।सुधा की अलमारी भी खुली पड़ी रहती है ड्रेसिंग टेबल पर भी कभी-कभी कीमती ज्बेलरी देख  मुनिया हंसकर कहती बीवी जी इनको संभाल कर रखा करो, चमक चली जाएगी । सुधा की एक साड़ी की मुनिया ने बहुत तारीफ की, तो सुधा ने वैसे ही साड़ी उसको मंगवा कर दी। मुनिया के यह कहने पर कि साड़ी के पैसे मेरी तनख्वाह से काट लेना, यह सुनकर सुधा बहुत गुस्सा हो गई थी ,सुधा ने साड़ी को दिवाली का गिफ्ट नाम दिया ।सुधा भी पूरा ध्यान रखती मुनिया का। मुनिया के बच्चों के लिए भी कुछ कुछ देती रहती । ,सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था ,तभी अचानक सुधा को कोरोना हो गया, और धीरे-धीरे पूरा परिवार बीमार हो गया सब को  बीमार देख ,मुनिया पर भी बीमार होने का खतरा मंडराने लगा ,पर मुनिया ने निर्णय लिया कि अच्छे दिनों में जब बीवी जी के घर में मैंने काम किया है, तो इस कठिन समय में मैं कैसे सबको छोड़ दूं। जब की आस पड़ोस रिश्तेदारों ने दुरियां बना ली है । मुनिया ने अपने बच्चों के लिए खाने पीने की व्यवस्था, पड़ोस में रहने वाली काकी के भरोसे छोड़ दी और उनको ही बच्चों की जिम्मेदारी संभालने को कहा ,और स्वयं मुनिया ने रात दिन एक कर  ,कुमार परिवार की बहुत सेवा की। खाने की हर किसी के लिए व्यवस्था ,सही समय पर दवा देना ।साफ-सफाई करना ,कपड़ों और मरीजों तक के बाथरूम तक धोने में कोई परहेज नहीं किया । अस्पताल में जहां मरीज दम तोड़ रहे थे ,वही मुनिया की देखरेख से धीरे-धीरे करके सभी सदस्य ठीक होने लगे। संक्रमण ज्यादा बढने से पहले ही ,डॉक्टर की सलाह से दवाई लेनी शुरू कर दी गई थी ,इसलिए स्थिति और स्वास्थ्य काबू में जल्दी आ गया। मुनिया के सेवा भाव से घर के लोग बहुत खुश थे। मुनिया ने कुमार फैमिली में नौकरी करते हुए अपना फर्ज निभाया। कुमार फैमिली में संक्रमित लोगों की रात दिन सेवा करने से और थकान से मुनिया पर  भी संक्रमण ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया,। मुनिया को खांसते और छींकते देख सुधा की अपने बच्चों के प्रति ममता जाग उठी ,और मुनिया को अपने कमरे से ही बैठे-बैठे आदेश दे दिया ,कि बहुत दिनों से तुम लगातार यही रह रही हो , अब एक महीने के लिए तुम अपने घर बच्चों के पास रहो और ठीक होने पर ही आना। कुछ जरूरत हो तो फोन करके बता देना ,तुम्हारे फोन पर पैसे में भेज दूंगीं। मुनिया भी कुमार फैमिली के परिवार में चलते रहते टीवी पर सुनती रहती थी ,बीमार से दूरी बना कर रखो ।अब मैं अपने घर नहीं ,सीधे इलाज के लिए अस्पताल में जाऊंगीं,क्योंकि उसके भी तो छोटे बच्चे हैं और यदि घर जाएगी तो बच्चों से दूरी बनाकर रखेगी

जया शर्मा प्रियंवदा

   4
2 Comments

Mohammed urooj khan

10-May-2024 01:01 PM

👌🏾👌🏾👌🏾

Reply

kashish

10-May-2024 07:11 AM

V nice

Reply